मृत्यु का समय आते ही धर्म का मूल बढ़ जाता है और पाप कामना वासना की ओर भागता -विशोक सागर जी महाराज
मृत्यु का समय आते ही धर्म का मूल बढ़ जाता है और पाप कामना वासना की ओर भागता -विशोक सागर जी महाराज
दिल्ली। परम पूज्य मुनि श्री विशोक सागर जी महाराज ने कहा कि मृत्यु का समय आते ही धर्म का मूल बढ़ जाता है और पाप कामना वासना की ओर भागता हुआ मन का शैतान थक जाता है मिट्ठू परम श्रद्धेय इस दुनिया में अगर किसी परसदा करनी है तो मिट्ठू पर करनी चाहिए क्योंकि मृत्यु का सिद्धांत मुक्ति का सोपान है तो रात जब तुम सो तो यही मानकर सोना की हो ना हो यह आखिरी रात हो सुबह का सूरज देख पाऊं ना देख पाऊं तो रात सोने से पहले क्षमा याचना करके सोना चाहिए।
किसी की अर्थी से नजरें मत चढ़ाओ अब तो उससे अपनी अर्थी का सबक ले लेना हर अर्थी तुम्हारे लिए एक सबक है घर के दरवाजे से अर्थी निकली तो दरवाजे बंद मत करो बच्चों का हाथ पकड़कर भीतर मत करो बल्कि उन्हें भीतर से बाहर लाकर खड़ा कर दो और कहो बेटा एक दिन मुझे भी तुझे भी इस संसार से ऐसे ही चले जाना है।
बाहर की तैयारी मिट्ठू के काम नहीं आएगी आदमी मित्र से बचने के लिए बाहर की व्यवस्था कर सकता है बाहर की सुरक्षा तैयारी कर सकता है अच्छा पक्का मकान बनवा लिया मकान के दरवाजे पर मशीन गन लेकर पहरेदार बैठा दिए जेड श्रेणी की सुरक्षा मिल गई लेकिन इससे क्या होगा यह सिर्फ बाहर की सुरक्षा है ब्रेन हेमरेज हो जाए हार्ट अटैक हो जाए लीवर काम करना बंद कर दी किडनी खराब हो जाए सांस रुक जाए तो बाहर की तैयारी काम नहीं आएगी एक दिन व्यक्ति को मरना ही पड़ेगा बाहर की तैयारी व्यक्ति के जीवन को बचा नहीं सकती है इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन के बारे में हमेशा सोचते और विचार थे रहना चाहिए।
बाल ब्रह्मचारी पुष्पेंद्र शास्त्री ने कहा समाज का आधार परिवार है और परिवार का आधार नारी है नारी महान है वह महापुरुषों की जननी है नारी की प्रगति के बिना परिवार की प्रगति नहीं होती है परिवार का आधार नारी है शरीर में जो स्थान नाढ़ी का है समाज में वही स्थान नारी का है नारी समाज की धारोहर है नारी के बिना परिवार गृहती नहीं बसती है नारी के बिना बच्चों को संस्कार नहीं मिलते हैं नारी के बिना व्यक्ति के परिवार में सुख और शांति नहीं होती है नारी के बिना समाज अधूरी है क्योंकि नारी नर कुक्षी कहलाती है जिससे राम कृष्ण महावीर जीसस जैसे व्यक्तियों ने जन्म लिया है पूर्व दिशा से ही सूरज निकलता है उसी प्रकार से नर को जन्म देने वाली सिर्फ एक नारी होती है इसलिए नारियों की इज्जत करना चाहिए सम्मान करना चाहिए पढ़ाना चाहिए लिखाना चाहिए और उनके प्रति अत्यंत मधुर व्यवहार करना चाहिए। ब्रह्मचारी मनोज भैया जी ब्रह्मचारी विनोद भैया जी ब्रह्मचारी रामपाल जी भैया जी एवं समस्त दिगंबर जैन समाज मौजूद रहे